tag:blogger.com,1999:blog-5040363119563466351.post450637167986620726..comments2023-10-09T15:29:07.002+05:30Comments on मनोज अबोध: तुम.....मनोज अबोधhttp://www.blogger.com/profile/18362392537626057652noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-5040363119563466351.post-53593109240952930042010-10-13T16:57:22.218+05:302010-10-13T16:57:22.218+05:30मनोज अबोध जी
नमस्कार !
इतनी प्यारी प्रेम कविता...<b><i>मनोज अबोध जी </i></b> <br />नमस्कार !<br />इतनी प्यारी प्रेम कविता ! … और अब तक किसी की प्रतिक्रिया नहीं ? <br /><b>तुम्हारे नयनों की अल्पना <br />अंकित हो गई है <br />हृदय के पृष्ठ पर… </b> <b> </b> <br />बहुत सुंदर !<br /> <b>जल तरंग छेड़ती <br />तुम्हारी निर्मल हंसी <br />पुलकित कर जाती है <br />मेरे रोम-रोम को … </b> <br />वाह वाह !<br />बहुत अच्छा लिखा है आपने , बधाई !!<br /><b> </b> <br />शुभकामनाओं सहित<br />- राजेन्द्र स्वर्णकारRajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.com