मनोज अबोध
क्या बताऊँ कि मेरे साथ वो क्या-क्या चाहे ..... वो न तितली न वो जुगनू न ही तारा चाहे........
Thursday, May 5, 2011
ऐसा भी वक्त था....
सिर शान से उठाये
सदियों से हम खड़े थे
तूफान हो कि बारिश,
हम किससे कब डरे थे
सूखी लताएं पत्ते,
बस ठूंठ रह गए अब
इक ऐसा वक्त भी था
हम भी हरे भरे थे...
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