Saturday, December 12, 2020

एक शेर....


 

शायद तुमको याद हों


 

हस्तलिपि में एक ग़ज़ल

आज अचानक पुरानी फाइल में एक कटिंग मिली जो 6 अप्रैल 1996 की दैनिक गाण्डीव, वाराणसी की है। मेरी एक ग़ज़ल मेरी ही हस्तलिपि में छपी हुई।


 

दिल से हमारे बीच....


 

विजयपर्व 2020


 

एक दोहा दीवाली पर..


 

एक शेर...यूँ ही


 

जिस किनारे को समंदर....


 

बारिश की घनी शाम..