क्या बताऊँ कि मेरे साथ वो क्या-क्या चाहे ..... वो न तितली न वो जुगनू न ही तारा चाहे........
बनने मत देना कभी, मन में कोई भीत ।
जब कोई शंका उठे, खुलकर कहना मीत ।।
अबोध जी.दो पंक्तियों में ही मित्रता का मूल-मंत्र आपने बता दिया.जब भी शंका हो-उसपर खुले मन से चर्चा करके समाधान किया जाना चाहिए.
दो पंक्तियों की रीतबन सकता है पूरा गीत
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अबोध जी.
दो पंक्तियों में ही मित्रता का मूल-मंत्र आपने बता दिया.जब भी शंका हो-उसपर खुले मन से चर्चा करके समाधान किया जाना चाहिए.
दो पंक्तियों की रीत
बन सकता है पूरा गीत
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