Tuesday, July 4, 2017

एक ताज़ा दोहे के साथ...


मेरे भीतर आ  बसा, जब  से  तेरा रूप ।

पोर-पोर में खिल गई, मीठी-मीठी धूप ।।

                              *मनोज अबोध

2 comments:

Amrita Tanmay said...

सुंदर !!!

दिगम्बर नासवा said...

ये असर है उनके रूप का ... बेमिसाल लिखवा लिया ...