Saturday, October 14, 2017

एक दोहा

एक दोहा यादों भरा....

मादक नयनों से तिरे, चख ली थी इकबार ।
उम्र हुई पर आज तक, उतरा नहीं ख़ुमार ।।

-----मनोज अबोध

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