Thursday, November 15, 2018

एक दोहा


1 comment:

Unknown said...

जड़ें कुतरते वो मिले समझा जिनको मित्र ,

जीवन में हमने जीये रिश्ते बड़े विचित्र।

तरह तरह के लोग थे ,गिरगिट बदले रंग ,

कोई ढंग का न मिला देखे सबके ढंग।
बढ़िया भाव और अर्थ आज के जीवन की झरबेरियों की चुभन एक ही दोहे में पूरी भर दी आपने मनोज अ -(सुबोध जी ).
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