Wednesday, May 13, 2009

कुछ वो पागल है कुछ दिवाना भी

कुछ वो पागल है कुछ दिवाना भी
उसको जाना मगर न जाना भी
यूँ तो हर शै में सिर्फ़ वो ही वो
कितना मु्श्क़िल है उसको पाना भी
उसके अहसास को जीना हरपल
यानि, अपने को भूल जाना भी
उससे मिलना, उसी का हो जाना
वो ही मंज़िल, वही ठिकाना भी
भूल की थी, सज़ा मिली कैसी ?
झेलना, उम्र भर निभाना भी
आज पलकों पे होंठ रख ही दो
आज मौसम है कुछ सुहाना भी

No comments: