Tuesday, June 26, 2012

आज का मुक्‍तक.....

प्रेम के अपहरण  से बचो ।
मित्र के विस्‍मरण से बचो ।
चाहते हो अगर  उच्‍चता..
भाव के संक्रमण से बचो ।

Wednesday, June 20, 2012

आज का मुक्‍तक...


क्षुद्र   अंत:करण  मत करो ।
उच्‍चता का क्षरण मत करो ।
लेखनी  के अमिट  अस्‍त्र से
मित्र पर आक्रमण मत करो ।

Saturday, June 16, 2012

एक पुराना गीत::::


आज मिले हो तुम...

आज मिले हो तुम
जैसे, बिसरे गीतों के छंद
जाग उठी प्राणों में फिर
बीते मौसम की गन्‍ध ।।



कितने अनदेखे सपने,
जब खड़े हुए थे द्वार....
कहां उठा पाई थीं पलकें
स्‍पर्शों का भार ...
पूर्ण समर्पण ही लगता, था
जीवन का सार....
जैसे, कोई मधुप हो जाए
मन-पंकज में बन्‍द ।।



मन के चिर-सूने पनघट पर
तुम ऐसे आये...
ज्‍यों युग के प्‍यासे पंथी को
सरिता मिल जाये..
श्‍वांसों में रजनीगंधा की
खुश्‍बू घुल जाये...
अब न बिछड़ना मीत, तुम्‍हे
उन यादों की सौगन्‍ध ।।



-- मनोज अबोध

Sunday, June 3, 2012

आज का मुक्‍तक

नफ़रतों को हवन हम करें ।
देश को फिर चमन हम करें ।
जो मिटे देश हित के लिए
आज उनको नमन हम करें ।

Saturday, June 2, 2012

आज का मुक्‍तक

मित्रता का जतन  हम करें ।
प्रेम-भीगा कथन  हम करें ।
जाति को, वर्ग को छोड़कर
एकता को सघन हम करें ।

Friday, June 1, 2012

आज का मुक्‍तक.....


स्‍वार्थ का हर शमन हम करें ।
भाव मन का  गहन हम करें ।
एकता- प्रेम  हो  देश  में..
आओ, मिलकर जतन हम करें ।