मनोज अबोध
क्या बताऊँ कि मेरे साथ वो क्या-क्या चाहे ..... वो न तितली न वो जुगनू न ही तारा चाहे........
Thursday, February 28, 2013
एक दोहा
जब-जब पहले प्यार की, खोली गई किताब ।
पृष्ठों में हँसते मिले, सूखे हुए गुलाब ।।
Wednesday, February 27, 2013
एक दोहा...
संबंधों की डोर को, इतना भी मत खींच ।
हो छत्तिस का आँकड़ा, तेरे मेरे बीच ।।
Monday, February 25, 2013
एक दोहा
एक टपरिया फूस की
,
कुछ मीठे अहसास ।
इतनी दौलत और है
,
अभी हमारे पास ।।
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