Wednesday, June 20, 2012

आज का मुक्‍तक...


क्षुद्र   अंत:करण  मत करो ।
उच्‍चता का क्षरण मत करो ।
लेखनी  के अमिट  अस्‍त्र से
मित्र पर आक्रमण मत करो ।

2 comments:

Dr (Miss) Sharad Singh said...

संवेदनशील रचना ...

मनोज अबोध said...

शरद जी आपका धन्‍यवाद