Sunday, November 6, 2011

एक मुक्‍तक

मेरा होता नहीं, तो क्‍या होता...
ऐसे डर से भला नहीं होता ।
जो नहीं खुद का कभी हो पाया
वो किसी और का नहीं  होता ।।

3 comments:

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...






बंधुवर मनोज अबोध जी


जो नहीं ख़ुद का कभी हो पाया
वो किसी और का नहीं होता


अच्छा लिखा है …


बधाई और मंगलकामनाओं सहित…
- राजेन्द्र स्वर्णकार

Anju (Anu) Chaudhary said...

bahut khub...

मनोज अबोध said...

राजेन्‍द्र जी और अनु जी, आपके स्‍नेह का अभार ।