क्या बताऊँ कि मेरे साथ वो क्या-क्या चाहे ..... वो न तितली न वो जुगनू न ही तारा चाहे........
जड़ें कुतरते वो मिले समझा जिनको मित्र ,जीवन में हमने जीये रिश्ते बड़े विचित्र। तरह तरह के लोग थे ,गिरगिट बदले रंग ,कोई ढंग का न मिला देखे सबके ढंग। बढ़िया भाव और अर्थ आज के जीवन की झरबेरियों की चुभन एक ही दोहे में पूरी भर दी आपने मनोज अ -(सुबोध जी ). veerusahab2017.blogspot.com
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जड़ें कुतरते वो मिले समझा जिनको मित्र ,
जीवन में हमने जीये रिश्ते बड़े विचित्र।
तरह तरह के लोग थे ,गिरगिट बदले रंग ,
कोई ढंग का न मिला देखे सबके ढंग।
बढ़िया भाव और अर्थ आज के जीवन की झरबेरियों की चुभन एक ही दोहे में पूरी भर दी आपने मनोज अ -(सुबोध जी ).
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