Saturday, December 12, 2020

हस्तलिपि में एक ग़ज़ल

आज अचानक पुरानी फाइल में एक कटिंग मिली जो 6 अप्रैल 1996 की दैनिक गाण्डीव, वाराणसी की है। मेरी एक ग़ज़ल मेरी ही हस्तलिपि में छपी हुई।


 

4 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (13-12-2020) को   "मैंने प्यार किया है"   (चर्चा अंक- 3914)    पर भी होगी। 
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है। 
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हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।  
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सादर...! 
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' 
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Amrita Tanmay said...

उम्दा ।

Shantanu Sanyal शांतनु सान्याल said...

सुन्दर सृजन।

Zee Talwara said...

बहुत ही बढ़िया ! क्या लिखा है आपने ! इसके लिए आपका दिल से धन्यवाद। Visit Our Blog