Saturday, April 7, 2012

आज का मुक्‍तक......

जब भी लेखन की बात होती है ।
इसको शह, उसको मात होती है ।
वो दलित, मैं सवर्ण,  तू नारी....
लेखकों की भी ‘जात ‘ होती है ।

3 comments:

Shikha Kaushik said...

बिलकुल सही mudda उठाया है इस मुक्तक के माध्यम से -लेखक की कोई जाती नहीं होती .आभार
<a href="http://www.facebook.com/INDIAGOLD>like this page on facebook and send your best wishes to our INDIAN HOCKEY TEAM</a>

Shikha Kaushik said...

like this page on facebook and send your best wishes to our INDIAN HOCKEY TEAM

Anju (Anu) Chaudhary said...

और ये ही पक्षपात का आधार होती हैं ....