Monday, May 13, 2013

एक ग़ज़ल-----------------------------

क्या बताऊँ कि मेरे साथ वो क्या क्या चाहे
वो न तितली न तो जुगनू न ही तारा चाहे

अक्स बनके कभी अहसास में बसना चाहे
फूल बनके कभी कदमों में बिखरना चाहे

जानता वो भी है अब थक गए बाजू मेरे
अपने पंखों पे मुझे लेके वो उड़ना चाहे

अलविदा कह चुका है अपने सभी ख्वाबों को
जो मेरी आँख में है बस, वही सपना चाहे

मेरे कदमों में सिमटने लगी रफ्तार मेरी
और वो है कि मेरे साथ ही चलना चाहे

मोम की नाव में विश्वास का चप्पू लेकर
आग के दरिया से वो पार उतरना चाहे
                -------- मनोज अबोध

1 comment:

KAVITA said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति ..