अंगारों के बीच पला मैं
अपनी लौ में आप जला मैं
वो कमियाँ तो हैं मुझमें भी
किसको देता दोष भला मैं
हर दिन झेली अग्नि परीक्षा
किस किस मुश्किल से निकला मैं
जो ख़ुद अपने साथ नहीं थे
उनके भी तो संग चला मैं
वक्त के साथ बँधा था मैं भी
धूप ढली तो साथ ढला मैं
----- मनोज अबोध
अपनी लौ में आप जला मैं
वो कमियाँ तो हैं मुझमें भी
किसको देता दोष भला मैं
हर दिन झेली अग्नि परीक्षा
किस किस मुश्किल से निकला मैं
जो ख़ुद अपने साथ नहीं थे
उनके भी तो संग चला मैं
वक्त के साथ बँधा था मैं भी
धूप ढली तो साथ ढला मैं
----- मनोज अबोध
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