क्या बताऊँ कि मेरे साथ वो क्या-क्या चाहे ..... वो न तितली न वो जुगनू न ही तारा चाहे........
Tuesday, November 5, 2013
दीप जले हर द्वार पर, बचे न कोई छोर । खुशियों की झालर सजे, घर में चारों ओर । घर में चारों ओर, अंधेरा डर कर भागे... । चले सदा सौभाग्य , आपके आगे-आगे । परिजन-प्रियजन सब रहें, दिल के सदा समीप । आपस में रौशन रहे, सदभावों का दीप ।।
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