नगर महानगर की चकाचौंध के बीच, सडक के किनारे, रेडलाइट पर, फलाई ओवर के शेड में, पार्क के किनारे कितने नंगे-अधनंगे लोग इस देश की तरक्की और विकास पर नाज कर रहे हैं....उनके लिए कुछ न कर पाने का अफसोस अपनी जगह है-------
उन पर भारी बीतती, शीत ऋतु की रात
सिर पर जिनके छत नहीं, हैं अधनंगे गात ।।
उन पर भारी बीतती, शीत ऋतु की रात
सिर पर जिनके छत नहीं, हैं अधनंगे गात ।।
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