Friday, March 16, 2012

आज का मुक्‍तक......


कुछ हृदय से यतन  कीजिए ।
प्रीत  का  अंकुरण  कीजिए ।
मात्र  अर्पण  समर्पण  नहीं...
प्रीत का वन  सघन  कीजिए ।

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