Monday, April 15, 2013

आज की ग़ज़ल--------------------------

ज्या्दा थे क्या ग़म बाबा
आँख हुई जो नम बाबा ।

अब की उससे बिछड़े तो
दर्द हुआ कुछ कम बाबा।

जनमों के रिश्तों की कब
आँच रही क़ायम बाबा ।

अब तो मिलते हैं अक्सर
फूलों में भी बम बाबा ।

वक्‍़त पड़ा जब यारों से
टूट गए कुछ भ्रम बाबा।

मुश्किल है बचना अब तो
अपना दीन-धरम बाबा।

टूटे, पर कब बिखरे हम
झेले लाख सितम बाबा।

मौत डराती क्या हमको
जि़न्दा थे कब हम बाबा।

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