नाव तूफान से यूँ पार भी हो सकती है
और कोशिश तेरी बेकार भी हो सकती है
फूल ही फूल हों, मुमकिन है भला कैसे ये?
वक्त के हाथ में तलवार भी हो सकती है
बोलकर ही नहीं हमला किया जाता हरदम
तेरी चुप्पी तेरा हथियार भी हो सकती है
यूँ न मायूस हो तू, दिल को जरा ढाढस दे
ये तेरी प्रार्थना स्वीकार भी हो सकती है
मुतमइन इतना भी होना न कभी रस्ते में
सामने इक नई दीवार भी हो सकती है
आपको कोई भी अच्छा नज़र नहीं आता
ये नज़र आपकी बीमार भी हो सकती है
और कोशिश तेरी बेकार भी हो सकती है
फूल ही फूल हों, मुमकिन है भला कैसे ये?
वक्त के हाथ में तलवार भी हो सकती है
बोलकर ही नहीं हमला किया जाता हरदम
तेरी चुप्पी तेरा हथियार भी हो सकती है
यूँ न मायूस हो तू, दिल को जरा ढाढस दे
ये तेरी प्रार्थना स्वीकार भी हो सकती है
मुतमइन इतना भी होना न कभी रस्ते में
सामने इक नई दीवार भी हो सकती है
आपको कोई भी अच्छा नज़र नहीं आता
ये नज़र आपकी बीमार भी हो सकती है
No comments:
Post a Comment