हाड कंपाती सर्दियां, रूह कंपाते लोग ,
दोनों से है सामना, ये कैसा संयोग ।
दोनों से है सामना, ये कैसा संयोग ।
क्या बताऊँ कि मेरे साथ वो क्या-क्या चाहे ..... वो न तितली न वो जुगनू न ही तारा चाहे........
दर्द का सिलसिला भी नहीं
कोई शिकवा गिला भी नहीं ।
कोशिशें भी न ज्यादा हुईं
आप जैसा मिला भी नहीं ।।