Monday, August 20, 2012

ईद के प्‍यारे-मुहब्‍बतभरे मौके पर एक मुक्‍तक

Friday, August 17, 2012

एक मुक्‍तक मौसम का..आपके नाम...

हाथ में हाथ हो, हो  न हो ।
आपका साथ हो, हो  न हो ।
आज रोको न जज्‍़बात को...
फिर ये बरसात हो, हो  न हो ।।

Thursday, August 16, 2012

एक मुक्‍तक आपके नाम......

चॉंदनी  रात हो, हो, न  हो ।
आपसे बात  हो, हो, न  हो ।
चार पल पास बैठो  जरा...
फिर मुलाकात  हो, हो, न  हो ।

Tuesday, July 17, 2012

आज का मुक्‍तक.....


रूकती हुई सॉंसों में कुछ सॉंस मिला जाओ ।
अहसास  के पंछी को थपकी दे सुला जाओ ।
उम्‍मीद  की  राहों  में   यादों  का  उजाला  है..
अश्‍कों की गुज़ारिश है- इकबार तो आ जाओ ।

Monday, July 16, 2012

आज का मुक्‍तक....

वीणा से  जुदा  होकर  संगीत  नहीं लौटा ।
अधरों से क्‍या बिछुड़ा, फिर गीत नहीं लौटा ।
‘जल्‍दी  लौटूंगा’  ये वादा  भी  छलावा था
बॉंहों से  बिछुड़कर फिर वो मीत नहीं लौटा ।

Tuesday, June 26, 2012

आज का मुक्‍तक.....

प्रेम के अपहरण  से बचो ।
मित्र के विस्‍मरण से बचो ।
चाहते हो अगर  उच्‍चता..
भाव के संक्रमण से बचो ।

Wednesday, June 20, 2012

आज का मुक्‍तक...


क्षुद्र   अंत:करण  मत करो ।
उच्‍चता का क्षरण मत करो ।
लेखनी  के अमिट  अस्‍त्र से
मित्र पर आक्रमण मत करो ।

Saturday, June 16, 2012

एक पुराना गीत::::


आज मिले हो तुम...

आज मिले हो तुम
जैसे, बिसरे गीतों के छंद
जाग उठी प्राणों में फिर
बीते मौसम की गन्‍ध ।।



कितने अनदेखे सपने,
जब खड़े हुए थे द्वार....
कहां उठा पाई थीं पलकें
स्‍पर्शों का भार ...
पूर्ण समर्पण ही लगता, था
जीवन का सार....
जैसे, कोई मधुप हो जाए
मन-पंकज में बन्‍द ।।



मन के चिर-सूने पनघट पर
तुम ऐसे आये...
ज्‍यों युग के प्‍यासे पंथी को
सरिता मिल जाये..
श्‍वांसों में रजनीगंधा की
खुश्‍बू घुल जाये...
अब न बिछड़ना मीत, तुम्‍हे
उन यादों की सौगन्‍ध ।।



-- मनोज अबोध

Sunday, June 3, 2012

आज का मुक्‍तक

नफ़रतों को हवन हम करें ।
देश को फिर चमन हम करें ।
जो मिटे देश हित के लिए
आज उनको नमन हम करें ।

Saturday, June 2, 2012

आज का मुक्‍तक

मित्रता का जतन  हम करें ।
प्रेम-भीगा कथन  हम करें ।
जाति को, वर्ग को छोड़कर
एकता को सघन हम करें ।

Friday, June 1, 2012

आज का मुक्‍तक.....


स्‍वार्थ का हर शमन हम करें ।
भाव मन का  गहन हम करें ।
एकता- प्रेम  हो  देश  में..
आओ, मिलकर जतन हम करें ।

Thursday, May 31, 2012

आज का मुक्‍तक.....

आप,  आते हो चले जाते हो ।
हमको बिलकुल नहीं बताते हो
दोस्‍तों का खयाल भी रक्‍खो..
क्‍यों हमें इस कद़र सताते हो ।।

Wednesday, May 23, 2012

आज का मुक्‍तक


कुछ तो सोचो- विचारो  कभी ।
नयन भर कर  निहारो  कभी ।
कब से बैठे  हैं पलकों  पे वो..
अब तो दिल में उतारो  कभी ।

Tuesday, May 22, 2012

आज का मुक्‍तक.............

प्‍यार  की  साधना  के  लिए  ।
भाव  की  अर्चना  के  लिए  ।
आओ,हम-तुम मिलें आज फिर
इक  नई  सर्जना  के  लिए  ।।

Sunday, May 20, 2012

आज का मुक्‍तक...

भाव की  नवधरा  चाहिए  ।
प्राण-प्रण  से वफ़ा  चाहिए ।
मैं  अधूरा हूँ  बिन  आपके..
आप से  पूर्णता  चाहिए  ।।

Friday, May 18, 2012

आज का मुक्‍तक...


प्‍यार में फिर वफ़ा के लिए ।।
इस अधूरी  कथा के लिए ।।
है निवेदन  यही, आपसे .....
लौट आओ सदा के लिए  ।।

Thursday, May 10, 2012

आज का मुक्‍तक......


क्‍यों कसम मेरी खाते हो तुम ।
और फिर भूल जाते हो तुम ।
कब निभा पाए हो तुम वफ़ा ...
मुझको झूठा बताते हो तुम ।

आज का मुक्‍तक....

दूर ख़ुद मुझसे  जाते हो तुम ।
अश्‍क भी फिर बहाते हो तुम ।
जब मिलन चाहते  ही नहीं ..
क्‍यों  बहाने बनाते  हो तुम ।

Monday, May 7, 2012

आज का मुक्‍तक


भाव  इतने  सघन हों न हों ।
स्‍वागतम् में नयन हों न हों ।
आज ही हमसे मिल लीजिए..
फिर मिलन के यतन हों न हों ।

Sunday, May 6, 2012

आज का मुक्‍तक....



खु़द  को  यूँ  गुदगुदाओ  कभी ।
बे-वजह   मुस्‍कुराओ    कभी  ।
याद  करके  किसी  बात  को ..
खु़द-ब-ख़ुद  खिलखिलाओ कभी ।

Friday, May 4, 2012

आज का मुक्‍तक....


व्‍यक्तिगत  टिप्‍पणी,  फिर  कभी ।
हम में जो कुछ ठनी, फिर  कभी  ।
चन्‍द  पल   पास   बैठो   जरा....
आपसी  दुश्‍मनी,   फिर   कभी  ।

Thursday, May 3, 2012

मुक्‍तक

सपनों से दिल लगाना  है अच्‍छा  कभी-कभी
बस, यूं ही मुस्‍कुराना है अच्‍छा  कभी-कभी
है प्‍यार तो आएगा,  मनाने   भी वो जरूर
बे-वजह रूठ   जाना  है  अच्‍छा  कभी-कभी ।।
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आज का मुक्‍तक.......


मुस्‍कुरा  कर   सराहा  तुम्‍हे  ।
हर कदम  पर निबाहा  तुम्‍हे  ।
तुम न  समझे हृदय को मेरे ..
ख़ुद से भी ज्‍यादा चाहा  तुम्‍हे ।

Saturday, April 28, 2012

आज का मुक्‍तक


वो  मिले, पर मिले  भी नहीं ।
गुल खिले, पर खिले  भी नहीं ।
देख  लेते   थे  पहले   उन्‍हें...
अब तो ये सिलसिले  भी नहीं ।

आज का मुक्‍तक



दर्द  की ये दवा  क्‍या  करूँ  ।
तू नहीं   तो वफ़ा क्‍या करूँ ।
हर खुशी थी जो तुम साथ थे
मैं अकेला बता क्‍या करूँ ।

Thursday, April 26, 2012

आज का मुक्‍तक....


जब भी यूँ मुस्‍कुराते हो  तुम ।
स्‍वप्‍न कितने दिखाते हो तुम ।
बदलियों-सा  बरस जाऊँगा....
क्‍यों मुझे गुदगुदाते हो  तुम ।

Monday, April 9, 2012

आज का मुक्‍तक......

मित्र, यदि  शायरी  जरूरी है ।
आपकी  टिप्‍पणी  जरूरी है ।
ताम्र को स्‍वर्ण बनाने के लिए
ये  कीमियागरी  जरूरी  है ।

Saturday, April 7, 2012

आज का मुक्‍तक......

जब भी लेखन की बात होती है ।
इसको शह, उसको मात होती है ।
वो दलित, मैं सवर्ण,  तू नारी....
लेखकों की भी ‘जात ‘ होती है ।

Friday, April 6, 2012

आज का मुक्‍तक......


झूठ  की  चाशनी  मत  करो 
सत्‍य  पर  तर्जनी  मत  करो 
चाहते  हो  अगर  मित्रता ....
आतिशी  टिप्‍पणी  मत  करो 

Thursday, April 5, 2012

आज का मुक्‍तक......

सोच का निष्‍क्रमण  प्रेम है  ।
भाव का अतिक्रमण  प्रेम है  ।
या, अचानक हृदय कक्ष  में..
साध्‍य का अवतरण  प्रेम है  ।